रफीक अहमद बताते हैं कि कुंभकरण, मेघनाथ और रावण के पुतले वह अपने पिता के समय से बनाते आ रहा है. यह सिलसिला 65 साल जारी है. इस काम के लिए उसे एक महीने के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है. मुजफ्फरनगर के अलावा उत्तराखंड के ऋषिकेश के लिए भी दशहरे के लिए पुतले बनाते हैं.
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