
गौरतलब है कि 2017 में विभाग ने तीन कंपनियों को जूते की सप्लाई का जिम्मा दिया था. इसमें भी 60 फीसदी काम ऐसी कंपनी को दिया गया था जो पावर क्षेत्र की थी. नतीजा चंद महीनों में ही बच्चों को दिए जूते-मोजे फटने लगे.
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