स्वामी चक्रपाणि कहते हैं कि जन्मांध कवि सूरदास ने जिस तरह से भगवन श्रीकृष्ण के रूपों का वर्णन किया है वह कोई आंख वाला भी नहीं कर सकता. तो क्या यह मान लें कि कोई ऐसा चश्मा था जिससे उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को देखा.
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